शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Sunday, January 22, 2012

साईं सच्चरित्र सार



ॐ साईं राम










जिस तरह कीड़ा कपड़ो को कुतर डालता है,


उसी तरह इर्ष्या मनुष्य को





क्रोध मुर्खता से शुरू होता है और पश्चाताप पर खत्म होता है






नम्रता से देवता भी मनुष्य के वश में हो जाते है






सम्पन्नता मित्रता बढाती है, विपदा उनकी परख करती है










एक बार निकले बोल वापस नहीं आ सकते, इसलिए सोच कर बोलो






तलवार की धार उतनी तेज नहीं होती, जितनी जिव्हा की






धीरज के सामने भयंकर संकट भी धूएं के बादलों की तरह उड़ जाते है






तीन सचे मित्र है - बूढी पत्नी, पुराना कुत्ता और पास का धन






मनुष्य के तीन सद्गुण है - आशा, विश्वास और दान






घर में मेल होना पृथ्वी पर स्वर्ग के सामान है






मनुष्य की महत्ता उसके कपड़ो से नहीं वरण उसके आचरण से जानी जाती है






दूसरों के हित के लिए अपने सुख का भी त्याग करना सच्ची सेवा है






भूत से प्रेरणा लेकर वर्त्तमान में भविष्य का चिंतन करना चाहिए


जब तुम किसी की सेवा करो तब उसकी त्रुटियों को देख कर उससे घृणा नहीं करनी चाहिए






मनुष्य के रूप में परमात्मा सदा हमारे साथ सामने है, उनकी सेवा करो







अँधा वह नहीं जिसकी आंखे नहीं है, अँधा वह है जो अपने दोषों को ढकता है







चिंता से रूप, बल और ज्ञान का नाश होता है






दूसरों को गिराने की कोशिश में तुम स्वयं गिर जाओगे






प्रेम मनुष्य को अपनी तरफ खींचने वाला चुम्बक है


 








-: आज का साईं सन्देश :-



शंकित मन हेमांड जी,

कैसे हो ये काम ।

मेरी बुद्धि अल्प है,

दीर्घ साईं नाम ।।





वेद सभी न कर सकें,

जब वर्णन अवतार ।

लिखने में साईं चरित,

पन्त होय लाचार ।।









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