ॐ सांई राम
ॐ सांई नमो नमः ॥
शिर्डी निवासी नमो नमः ॥
करूणा मूर्ति नमो नमः ॥
सद्गुरू सांई नमो नमः ॥
जीवन की प्रभु सांझ भई है,
अब तो शरण में ले लो !
जगत के स्वामी मेरे प्रभुवर,
जगत के स्वामी मेरे प्रभुवर,
अपने चरन में ले लो!!
इस देही के मालिक तुम हो,
इस देही के मालिक तुम हो,
तुमको सदा भुलाया !
भरी जवानी मोल न जाना,
भरी जवानी मोल न जाना,
सदा तुम्हे बिसराया !!
तेरे चरन ही मान सरोवार,
अपने तरन में में ले लो !!!!
छोड़ के कंचन पाकर पीतल,
छोड़ के कंचन पाकर पीतल,
अंग ही उसे लगाया !!
मृगतृष्णा की पयास में भटका,
मृगतृष्णा की पयास में भटका,
मन मेरा भरमाया !!
‘दास नारायण’ भिक्षा मांगे,
अपनी धरण में ले लो !!!!
जीवन की प्रभु सांझ भई है,
जीवन की प्रभु सांझ भई है,
अब तो शरण में ले लो !
ॐ सांई नमो नमः ॥
शिर्डी निवासी नमो नमः ॥
करूणा मूर्ति नमो नमः ॥
सद्गुरू सांई नमो नमः ॥
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