ॐ सांई राम
साईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही हमारी एकमात्र शरण रहने दो...
तुझे वन्दना मैं करुं,
परम दयामय ईश,
परम शक्तिमय साईं राम,
परम पुरुष जगदीश॥
मेरे सांई सर्वाधार,
मेरे सांई सर्वाधार,
मेरे जीवन के तुम सार,
दो अक्षर का नाम तुम्हारा,
दो अक्षर का नाम तुम्हारा,
सब से सुन्दर सब से प्यार,
कहने को तो दो अक्षर है 'सांई',
कहने को तो दो अक्षर है 'सांई',
पर सारी सृष्टि का सार समाया है ,
हर पल जो भी हो रहा,
हर पल जो भी हो रहा,
सभी श्री सांई की ही माया है!
तूँ तो सब का सहारा है सांई,
हर कोई तुझ को प्यारा है सांई,
तूँ तो अपने बंदों में फर्क न करता,
मेरा मन क्यों मुझको भटकाता है सांई,
ये तो मेरे कर्म है सांई
हर कोई तुझ को प्यारा है सांई,
तूँ तो अपने बंदों में फर्क न करता,
मेरा मन क्यों मुझको भटकाता है सांई,
ये तो मेरे कर्म है सांई
No comments:
Post a Comment