ॐ सांई राम
कल हमने पढ़ा था.. जो मस्जिद में आया, सुखी हो गया
श्री साईं लीलाएं
बालागनपत दर्जी शिरडी में रहते थे| वह बाबा के परम भक्त थे| एक बार उन्हें जीर्ण ज्वर हो गया| बुखार की वजह से वह सूखकर कांटा हो गये| बहुत इलाज कराये, पर ज्वर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ| आखिर में थक-हारकर साईं बाबा की शरण में पहुंचे| वहां पहुंचकर बाबा से पूछा - "बाबा ! मेरा ऐसा कौन-सा पाप
कर्म है जो सब तरह की कोशिश करने के बाद भी बुखार मेरा पीछा नहीं छोड़ता?"
उसकी करुण पुकार सुनकर बाबा के मन में दया जाग उठी और बाबा उससे बोले - "तू
लक्ष्मी मंदिर के पास जाकर एक काले कुत्ते को दही-चावल खिला| तेरा भला होगा|" बाबा के वचन सुनकर उसके मन में उम्मीद जाग उठी| वह दही-चावल लेकर लक्ष्मी मंदिर पहुंचा| वहां पहले से एक काला कुत्ता खड़ा था| उसने उसे दही-चावल खिलाया तो वह तुरंत दोनों चीज खा गया और कुछ ही दिनों में उसका बुखार पूरी तरह से ठीक हो गया|
कल चर्चा करेंगे... बूटी का रोग छूमंतर
ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।
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