शिरडी में आज तक कोई ऐसा इंसान नहीं मिला जो ये कहता हो कि उसे दो जून की रोटी नहीं मिलती। और साईं की ये आखिरी इच्छा भी थी।
शिरडी में एक नीम का पेड़ है। उस पेड़ के नीचे ही साईं अपने भक्तों को प्रवचन दिया करते थे। दरअसल, इसकी एक बड़ी अजीब कहानी है। जब साईं शिरडी आए तो इस पेड़ के आस-पास खुदाई करने लगे। लोगों ने जब पूछा कि आप क्या कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यहां हमारे गुरु रहते हैं उन्हें निकाल रहा हूं।
फिर तो लोग साथ मिलकर खुदाई करने लगे। जमीन के नीचे जब पांच फीट की खुदाई हुई तो वहां से पांच दीए निकले। ये देख कर सब हैरत में पड़ गए। उसके बाद तो साईं के साथ साथ इस नीम के पेड़ के पास उनके गुरु की भी पूजा होने लगी।
इस नीम के पेड़ की एक और खासियत है। आम तौर पर नीम के पते कड़वे होते हैं लेकिन यहां इन के पत्तों में मिठास है। ये कड़वे पत्ते भक्तों को मीठे लगते हैं और भक्त इसे साईं का प्रसाद ही समझते हैं। इसका फल ठीक वैसे ही है जैसे साईं आरती का फल है।
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