शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Thursday, May 9, 2013

श्री साईं लीलाएं - अम्मीर शक्कर की प्राण रक्षा




ॐ सांई राम


































कल हमने पढ़ा था.. बापू साहब बूटी को अभय दान    















































श्री साईं लीलाएं

































अम्मीर शक्कर की प्राण रक्षा





बांद्रा में रहनेवाला
अम्मीर शक्कर साईं बाबा का भक्त था| वह वहां पर दलाली किया करता था| एक
बार उसे गठिया रोग हो गया| रोग के कारण उसे असहनीय कष्ट का सामना करना पड़
रहा था| आखिर में बीमारी से परेशान होकर अपना काम-धंधा छोड़कर शिरडी आ गया
और साईं बाबा से अपनी बीमारी के बारे में बताकर, उनसे मुक्ति दिलाने के लिए
प्रार्थना करने लगा| उसकी प्रार्थना सुनकर बाबा ने उसे चावड़ी में रहने के
लिए कहा|

उस समय चावड़ी ऐसे रोगियों के रहने के लिए किसी भी तरह
अनुकूल स्थान नहीं था, क्योंकि वह बहुत टूटी-फूटी और सीलनभरी थी| बरसात के
मौसम में उसकी छत भी टपका करती थी, परन्तु बाबा की आज्ञा को कैसे टाला जा
सकता था| अत: अम्मीर शक्कर वहां मन मारकर रहने लगा|

इतना ही नहीं,
बाबा ने उसे मस्जिद में आने को मना कर रखा था, लेकिन बाबा का यह नियम था
कि वह सुबह-शाम चावडी से होकर ही निकला करते थे| बाबा एक दिन के अंतराल पर
जुलूस के साथ वहां पर आते और विश्राम भी करते थे| वहीं पर भक्त बाबा का
पूजन, आरती करते| अम्मीर शक्कर को वहां बैठे-बैठे ही बाबा का दर्शन लाभ
होता था| उसे वहां रहते हुए नौ महीने बीत गये|

अम्मीर शक्कर का
वहां रहते हुए मन ऊब गया| उसे चावड़ी बंदीखाना लगने लगी| वैसे उसका गांव
वहां से ज्यादा दूर नहीं था और वह वहां पर आराम से रह भी सकता था, लेकिन
बाबा से अनुमति मांगी जाये तो शायद वे अनुमति न देंगे| इसलिए एक रात को वे
चोरी-छिपे वहां से निकलकर कोपर गांव से जाकर एक धर्मशाला में ठहर गया| वहां
पर उसने एक फकीर को देखा जो पानी के अभाव में तड़फ रहा था| उसने अम्मीर
शक्कर से पानी मांगा| अम्मीर शक्कर ने उसे पानी लाकर दिया| पानी पीते ही
फकीर ने दम तोड़ दिया| यह देखकर अम्मीर के होश उड़ गये| वह क्या करे और
क्या न करे? उसने सोचा कि यदि इसके मरने की सूचना पुलिस को देता हूं तो
पुलिस मुझे ही पकड़ेगी| फिर न जाने कौन-कौन-सी मुश्किलों का सामना करना
पड़ेगा और पूरी छानबीन होने तक, उसे बेगुनाह होने तक पुलिस उसका पीछा नहीं
छोड़ेगी| ऐसा सोचकर वह वहां से भाग निकला और सवेरा होने से पहले वे शिरडी
जा पहुंचा| उस समय उसे बाबा की अनुमति के बिना शिरडी छोड़ने का अत्यन्त
पछतावा हो रहा था| वह मन-ही-मन बाबा से प्रार्थना करने लगा और बाबा से माफी
मांगते हुए चावड़ी लौटा, तो उसकी जान में जान आयी| इसके बाद वो चावड़ी में
तब तक रहा, जब तक बाबा ने उसे वहां से जाने की अनुमति नहीं दी - और बाबा
के आशीर्वाद से वह बीमारी से मुक्त हो गया|

अम्मीर शक्कर जिस
चावड़ी में रहता था, साईं बाबा भी एक दिन छोड़कर रात में वहां सोते थे|
चावड़ी में बाबा के साथ अम्मीर शक्कर भी सोता था| एक बार की बात है कि आधी
रात के बाद बाबा ने जोर-जोर से अब्दुल को पुकार कर कहा - "अब्दुल ! जरा देख
तो सही कोई दुष्ट मेरे बिस्तर पर चढ़ा आ रहा है|"

अब्दुल दौड़कर
लालटेन ले आया और उसने बाबा का बिस्तर बहुत ध्यान से देखा, लेकिन उसे कुछ
भी दिखाई न दिया| तब बाबा ने अब्दुल से जरा ध्यान से देखने को कहा और जमीन
पर अपना सटका जोर-जोर से पटकने लगे|

इस हड़बड़ी से अम्मीर शक्कर
की नींद टूट गयी| उसे यहां रहते हुए बहुत दिन हो चुके थे| उसे बाबा की
बातों का कुछ-कुछ अंदाजा हो चुका था| भक्तों के संकटों को बाबा स्वयं का
संकट कहते थे| फिर जब उसकी नजर अपने बिस्तर के पास में पड़ी तो देखा कि
वहां पर कुछ हलचल हो रही है - और अब्दुल को लालटेन लाने को कहा, तो वहां पर
सांप कुड़ली फैलाये बैठा, फन हिला रहा था, सबने देखा| फिर सबने मिलकर उस
सांप को मार डाला| इस तरह बाबा ने समय से पहले ही सूचित करके अम्मीर शक्कर
के प्राणों की रक्षा की|
























कल चर्चा करेंगे..सबका रखवाला साईं       















ॐ सांई राम






===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===


बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।



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