शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Sunday, May 5, 2013

श्री साईं लीलाएं - लोग दक्षिणा भी देते थे और गालियाँ भी




ॐ सांई राम

































कल हमने पढ़ा था.. घोड़े की लीद का रहस्य   













































श्री साईं लीलाएं
































लोग दक्षिणा भी देते थे और गालियाँ भी




किसी के बारे में कोई
भला-बुरा कहे या बुराई करे, यह बाबा को बिल्कुल पसंद नहीं था| बाबा सब जान
जाते और अवसर पाकर बातों ही बातों में उसे उसके बारे में समझा भी देते|
ऐसे ही एक घटना का यहां वर्णन किया जा रहा है -एक वार पंढरपुर के एक वकील
बाबा के दर्शन करने के लिए मस्जिद आये थे| उन्होंने बाबा की चरणवंदना की और
कुछ दक्षिणा अर्पण कर वहीं एक कोने में बैठे वार्तालाप सुनने लगे|


उस समय बाबा किसी दूसरे भक्त से वार्ता कर रहे थे| वार्ता करते-करते अचानक
बाबा ने वकील की ओर देखते हुए कहा - "कुछ लोग कितने चालाक होते हैं| यहां
आकर चरणवंदना करते हैं, दक्षिणा भी देते हैं और पीठ पीछे गालियां भी देते
हैं| उनके इस तरह के व्यवहार के बारे में क्या कहा जाये?"

वहां
बैठे वकील को बाबा के कहे गये ये शब्द मानो तीर की भांति चुभ गये| वे समझ
गये कि बाबा का इशारा उनकी तरफ ही है और जिस घटना के बारे में था, वह भी
उन्हें याद आ गयी| उन्हें अपने किये पर पछतावा होने लगा| वे चुपचाप सिर
झुकाये बैठे रहे| बाद में बाड़े में लौटकर उन्होंने यह बात काका साहब
दीक्षित को बतायी और बोले - "यह एक तरह से मेरे लिए चेतावनी ही थी कि मैं
किसी को भला-बुरा न कहूं|" फिर उन्होंने काका साहब को पूरा वाकया बताते हुए
कहा - "एक बार जब उप-न्यायाधीश नूलकर साहब अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए
शिरडी आकर ठहरे, तब उनके बारे में बाररूम में बातें चल रही थीं कि मैं
बातों-बातों में कह उठा, कि साहब जिस रोग से पीड़ित हैं, वह बिना औषधि लिए
क्या साईं बाबा ठीक कर देंगे? ऐसा करके वे ठीक कैसे होंगे? इतने बड़े अफसर
के लिए क्या ऐसा करना शोभा देता है?" उस समय नूलकर व साईं बाबा का उपहास
किया जा रहा था| यह बात साईं बाबा की नजरों से छुपी नहीं| आज उन्होंने मुझे
मेरी भूल दिखाकर मानो उपदेश ही दिया कि मुझे न तो किसी की निंदा ही करनी
चाहिए और न ही किसी के काम में बाधा ही डालनी चाहिए|

इसके बाद
वकील साहब ने यह निश्चय किया कि वे आगे से कभी भी किसी के बारे में
भला-बुरा नहीं कहेंगे और न निंदा करेंगे| बाबा का यह उपदेश वकील के लिए
नहीं बल्कि सभी मनुष्यों के लिये था|





















कल चर्चा करेंगे..बाबा का संकट के प्रति सचेत करना       















ॐ सांई राम






===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===


बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।



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