शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Wednesday, November 2, 2011

सांई चरणों में झुका रहे मेरा यह शीश...

ॐ सांई राम




यूँ ही एक दिन चलते-चलते सांई से हो गई मुलाकात। 
जब अचानक सांई सच्चरित्र की पाई एक सौगात। 
फिर सांई के विभिन्न रूपों के मिलने लगे उपहार। 
तब सांई ने बुलाया मुझको शिरडी भेज के तार। 
सांई सच्चरित्र ने मुझ पर अपना ऐसा जादू डाला। 
सांई नाम की दिन-रात मैं जपने लगा फिर माला। 
घर में गूँजने लगी हर वक्त सांई गान की धुन। 
मन के तार झूमने लगे सांई धुन को सुन। 
धीरे-धीरे सांई भक्ति का रंग गाढ़ा होने लगा। 
और सांई कथाओं की खुश्बूं में मन मेरा खोने लगा। 
सांई नाम के लिखे शब्दों पर मैं होने लगी फिदा। 
अब मेरे सांई को मुझसे कोई कर पाए गा ना जुदा। 
हर घङी मिलता रहे मुझे सांई का संतसंग। 


सांई मेरी ये साधना कभी ना होवे भंग। 
सांई चरणों में झुका रहे मेरा यह शीश। 
सांई मेरे प्राण हैं और सांई ही मेरे ईश। 
भेदभाव से दूर रहूँ,शुद्ध हो मेरे विचार। 
सांई ज्ञान की जीवन में बहती रहे ब्यार |

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