ॐ सांई राम
कल हमने पढ़ा था.. माँ का चुम्बन लेने में क्या दोष है?
श्री साईं लीलाएं
बाबा का स्वभाव था कि
वे अपने भक्तों को उनकी इच्छा के अनुसार अपनी सेवा करने दिया करते थे| यदि
कोई और उनके सेवक को कुछ उल्टा-सीधा कह देता तो बाबा एकदम गुस्सा हो जाते
थे और उस पर अपने गुस्से का इजहार किया करते थे|
एक दिन मौसीबाई
जिनका इससे पहले वर्णन आ चुका है, बाबा का पेट जोर लगाते हुए ऐसे मल रही
थीं, मानो आटा गूंथ रही हों| उन्हें ऐसा करते औरों को अच्छा नहीं लगता था|
जबकि साईं बाबा उसका सेवा से खुश रहते थे| उन्हें एक दिन इसी तरह सेवा करते
देख एक अन्य भक्त ने मौसीबाई से कहा - "ओ बाई ! बाबा पर थोड़ा-सा रहम करो|
बाबा का पेट धीरे-धीरे दबाओ| इस तरह जोर-जोर से उल्टा-सीधा दबाओगी तो
आंतें व नाड़ियां टूट जायेंगी और दर्द भी होने लगेगा|"
इतना सुनते
ही बाबा एक झटके से उठ बैठे और अपना सटका जोर-जोर से जमीन पर पटकने लगे|
क्रोध के कारण उनकी आँखें और चेहरा अंगारे की भांति लाल हो गये| यह देखकर
सब लोग डर गये|
फिर बाबा ने उसी सटके का एक सिरा पकड़कर नाभि में
लगाया और दूसरा सिरा जमीन पर रख उसे अपने पेट से जोर-जोर से दबाने लगे|
सटका दो-तीन फुट लम्बा था| यह दृश्य देखकर सब लोग और भी ज्यादा डर गये कि
यदि यह सटका पेट में घुस गया तो? अब क्या किया जाये, किसी की समझ में कुछ
भी नहीं आ रहा था| बाबा सटके के और ज्यादा पास होते जा रहे थे| यह देख सब
लोग किंकर्त्तव्यविमूढ़ थे और भय-मिश्रित आश्चर्य से बाबा की इस लीला को
देख रहे थे|
जिस व्यक्ति ने मौसीबाई को सलाह दी थी, उसे अपने किये
पर बहुत पछतावा हो रहा था, कि कैसे मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई कि मैं बोल
पड़ा| वह मन-ही-मन बाबा से माफी मांगने लगा| बाकी सभी भक्तजन बाबा से हाथ
जोड़कर शांत होने की प्रार्थना कर रहे थे| फिर कुछ देर बाद बाबा का क्रोध
शांत हो गया और वे आसन पर बैठ गये| उस समय भक्तों को बड़ा आराम महसूस हुआ|
इस घटना के बाद सभी ने अपने मन में यह बात ठान ली कि वे बाबा के भक्त के
किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे| भक्त जिस ढंग से चाहेंगे, वैसे
ही बाबा की सेवा करने देंगे| क्योंकि बाबा भी अपने कार्य में किसी का
हस्तक्षेप नहीं होने देना चाहते थे|
कल चर्चा करेंगे... लालच बुरी बला
ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।
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