शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Thursday, May 16, 2013

श्री साईं लीलाएं - माँ का चुम्बन लेने में क्या दोष है?




ॐ सांई राम




































कल हमने पढ़ा था.. सब कुछ गुरु को अर्पण करता चल    



















































श्री साईं लीलाएं



































माँ का चुम्बन लेने में क्या दोष है?




साईं बाबा के एक भक्त थे दामोदर घनश्याम बावरे| लोग उन्हें 'अण्णा चिंचणीकर' के नाम से जानते थे| साईं बाबा पर उनकी इतनी आस्था था कि वे कई वर्ष तक शिरडी
में आकर रहे
| अण्णा स्वभाव से सीधे, निर्भीक और व्यवहार में रूखे थे| कोई भी बात उन्हें सहन न होती थी| पर मन में कोई कपट नहीं था| जो कुछ भी कहना होता था, दो टूक कह देते थे| अंदर से एकदम कोमल दिल और प्यार करने वाले थे| उनके इसी स्वभाव के कारण ही बाबा भी उन्हें विशेष प्रेम करते थे|



एक बार दोपहर के समय बाबा अपना बायां हाथ कट्टे पर रखकर आराम कर रहे थे, सभी भक्त स्वेच्छानुसार बाबा के अंग दबा रहे थे| बाबा के दायीं ओर वेणुबाई कौजलगी नाम की एक विधवा भी बाबा की सेवा
कर रही थी
| साईं बाबा उन्हें माँ कहकर पुकारते थे, जबकि अन्य सभी भक्त उन्हें 'मौसीबाई' कहा करते थे| मौसीबाई बड़े सरल स्वभाव की थी| उसे भी हँसी-मजाक करने की आदत थी| उस समय वे अपने दोनों हाथों की उंगलियां मिलाकर बाबा का पेट दबा रही थीं| जब वे जोर लगाकर पेट दबातीं तो पेट व कमर एक हो जाते थे| दबाव के कारण बाबा भी इधर-उधर हो जाते थे| अण्णा चिंचणीकर भी बाबा की दूसरी ओर बैठे सेवा कर रहे थे| हाथों को चलाने से मौसीबाई का सिर ऊपर से नीचे हो रहा था| दोनों ही सेवा करने में व्यस्त थे| इतने में अचानक मौसीबाई का हाथ फिसला और वह आगे की तरफ झुक गयी और
उनका मुंह अण्णा के मुंह
के सामने हो गया|



मौसीबाई मजाकिया स्वभाव की तो थी ही, वह एकदम से बोली - "अण्णा तुम मेरे से पप्पी (चुम्बन)
मांगते हो
| अपने सफेद बालों का ख्याल तो किया होता| तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती?" इतना सुनते ही अण्णा गुस्से के मारे आगबबूला हो गये और अनाप-शनाप बकने लगे - "क्या मैं मुर्ख हूं? तुम खुद ही मुझसे छेड़छाड़ कर झगड़ा कर रही हो|" अब मौसी का भी दिमाग गरम हो गया| दोनों में तू-तू, मैं-मैं बढ़ गयी| वहां उपस्थित अन्य भक्त इस विवाद का आनंद ले रहे थे| बाबा दोनों से बराबर का प्रेम करते थे| कुछ देर तक तो बाबा इस तमाशे को खामोशी से देखते रहे| फिर इस विवाद को शांत करते हुए बाबा अण्णा से बोले - "अण्णा ! क्यों
इतना बिगड़ता है
? अरे, अपनी माँ की पप्पी लेने में क्या दोष है?"



बाबा का ऐसा कहते ही दोनों एकदम से चुप हो गये और फिर आपस में हँसने लगे तथा बाबा के भक्तजन भी
ठहाका हँसी में शामिल हो
गये|


























कल चर्चा करेंगे..बाबा के सेवक को कुछ न कहना, बाबा गुस्सा होंगे        















ॐ सांई राम






===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===


बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।



No comments:

Post a Comment

For Donation