ॐ सांई राम
मां महागौरी का पूजन धन, वैभव और सुख-शांति प्रदान करता है |
नवरात्र
के आठवें दिन मां के महागौरी स्वरूप का पूजन करने का विधान हैं। महागौरी
स्वरूप उज्जवल, कोमल, श्वेतवर्णा तथा श्वेत वस्त्रधारी हैं। महागौरी मस्तक
पर चन्द्र का मुकुट धारण किये हुए हैं। कान्तिमणि के समान कान्ति वाली देवी
जो अपनी चारों भुजाओं में क्रमशः शंख, चक्र, धनुष और बाण धारण किए हुए
हैं, उनके कानों में रत्न जडितकुण्डल झिलमिलाते रहते हैं। महागौरीवृषभ के
पीठ पर विराजमान हैं। महागौरी गायन एवं संगीत से प्रसन्न होने वाली
‘महागौरी‘ माना जाता हैं।
मंत्र:
श्वेते वृषे समरूढ़ाश्वेताम्बराधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
ध्यान:-
वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्॥
पुणेन्दुनिभांगौरी सोमवक्रस्थितांअष्टम दुर्गा त्रिनेत्रम।
वराभीतिकरांत्रिशूल ढमरूधरांमहागौरींभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानामृदुहास्यानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर, कार, केयूर, किंकिणिरत्न कुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांत कपोलांचैवोक्यमोहनीम्।
कमनीयांलावण्यांमृणालांचंदन गन्ध लिप्ताम्॥
स्तोत्र:-
सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाघप्रिया अघा महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगलात्वंहितापत्रयप्रणमाम्यहम्।
वरदाचैतन्यमयीमहागौरीप्रणमाम्यहम्॥
कवच:-
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं
बीजंमां हृदयो।क्लींबीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो॥ललाट कर्णो,हूं, बीजंपात
महागौरीमां नेत्र घ्राणों।कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो॥
मंत्र-ध्यान-कवच- का विधि-विधान से पूजन करने वाले व्यक्ति का सोमचक्र
जाग्रत होताहैं। महागौरी के पूजन से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं।
महागौरी के पूजन करने वाले साधन के लिये मां अन्नपूर्णा के समान, धन, वैभव
और सुख-शांति प्रदान करने वाली एवं संकट से मुक्ति दिलाने वाली देवी
महागौरी हैं।
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