शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Monday, July 15, 2013

श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ - गुरमुख और मनमुख



श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ
















गुरमुख और मनमुख






एक दिन कुला, भुला और भागीरथ तीनों ही मिलकर गुरु अर्जन देव जी के पास आए| उन्होंने आकर प्रार्थना की कि हमें मौत से बहुत डर लगता है| आप हमें जन्म मरण के दुख से बचाए|

गुरु जी कहने लगे, आप गुरमुख बनकर मनमुखो वाले कर्म करने छोड़ दें| उन्होंने कहा महाराज! हमें यह समझाए कि गुरमुख और मनमुख में क्या अन्तर होता है| हमें इनके लक्षणों से अवगत कराए|

गुरमुख के लक्षण-

· गुरु के वचनों को याद रखना

· अपने उपर नेकी करने वालो की नेकी को याद रखना

· सबकी भलाई सोचना और चाहना

· किसी के काम में विघन नहीं डालना

· खोटे कर्मों का त्याग करना

· नेक कर्मों को ग्रहण करना

· गुरु के उपदेश को ग्रहण करके अपने आत्म स्वरुप को जानने वाला और अनेक में एक को देखने वाला गुरमुख होता है|


मनमुख के लक्षण-

· सबसे ईर्ष्या करनी

· किसी का भला होता देख दुखी होना

· अपनी इच्छा से काम करने

· कभी किसी का भला न सोचना

· जो नेकी करे उसकी बुराई करनी

· सबके बुरे में अपना भला समझना

· कथा कीर्तन ध्यान न लेना

· गुरु उपदेश को ध्यान से न सुनना

· पुण्य और स्नान से परहेज करना

· उपजीविका के लिए झूठ बोलना| 



गुरु जी के यह वचन सुनकर तीनों को संतुष्टि हुई| उन्होंने गुरमुखता के मार्ग पर प्रण कर लिया| फिर वह गुरु जी को माथा टेक कर अपने काम काज में लग गए|


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