शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Tuesday, March 19, 2013

श्री साईं लीलाएं- बाइजाबाई द्वारा साईं सेवा



ॐ सांई राम







कल हमने पढ़ा था.. साईं बाबा द्वारा भिक्षा माँगना       

















श्री साईं लीलाएं
































बाइजाबाई द्वारा साईं सेवा

          









साईं बाबा पूर्ण सिद्धपुरुष थे और उनका कार्य-व्यवहार भी बिल्कुल सिद्धों जैसा
ही
था| उनके इस व्यवहार को देखकर शुरू-शुरू में शिरडी को लोग उन्हें
पागल समझते थे और
पागल फकीर कहते थे| बाद में बाबा इसी पागल सम्बोधन से प्रसिद्ध भी हो गए| जबकि साईं बाबा बाह्य दृष्टि से जैसे दिखाई देते थे, वास्तव में वे वैसे थे ही नहीं| बाबा उदार हृदय, और त्याग की साक्षात् मूर्ति थे| उनका हृदय महासागर की तरह बिल्कुल शांत था| लेकिन शिरडी में कुछ लोग ऐसे भी थे, जो बाबा को ईश्वर मानते थे| उनमे एक थी वाइजाबाई|



वाइजाबाई एक भद्र महिला वे तात्या कोते पाटिल की माता थीं| उन्होंने अपने पूरे जीवन में साईं बाबा की बहुत सेवा की थी| रोजाना दोपहर को वे एक टोकरी में रोटी और भाजी लेकर बाबा को ढूंढती-फिरतीं, कड़ी धूप में भी दो-चार मील घूमतीं, जहां पर भी उन्हें बाबा मिलते, उन्हें बड़े प्यार से अपने हाथों से खिलातीं| जब कभी बाबा अपनी ध्यानावस्था में मग्न बैठे रहते, तो वह घंटों बैठे उनके होश में आने का इंतजार करतीं| आंख खुलने पर उन्हें जबरन खिलातीं| साईं बाबा भी वाइजाबाई की इस सेवा को अपने अंतिम समय तक नहीं भुला पाए| वाइजाबाई और उसके पुत्र तात्या कोते की भी साईं बाबा के प्रति गहन निष्ठा और
श्रद्धा थी
| वाइजाबाई की सेवा का प्रतिफल बाद में उसके पुत्र तात्या कोते को भी दिया|



साईं बाबा वाइजाबाई और तात्या कोते से यही कहा करते थे कि फकीरी ही सच्ची अमीरी
है
| वह अनंत है| जिसे अमीरी कहते हैं वह तो एक दिन समाप्त हो जाने वाली है| वाइजाबाई की सेवा को साईं बाबा ने समझ लिया और फिर उन्होंने भटकना छोड़ दिया और
मस्जिद में रहकर ही भोजन करने
लगे| वाइजाबाई की मृत्यु के पश्चात् उसके बेटे ने भी यह सिलसिला
जारी रखा
| वह भी बाबा के लिए भोजन लाता|










कल चर्चा करेंगे..तात्या और म्हालसापति को बाबा का सानिध्य       

















ॐ सांई राम


===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===


बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।








No comments:

Post a Comment

For Donation