शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Monday, September 9, 2013

श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ - जिमींदार द्वारा गुरु के वचनों की उलंघना करना



श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ





































































जिमींदार द्वारा गुरु के वचनों की उलंघना करना


एक जिमींदार गुरु तेग बहादर जी की बड़ी श्रद्धा के साथ सेवा करता था| गुरु जी उसकी सेवा पर बहुत खुश थे| उसकी सेवा पर खुश होकर गुरु जी ने वह सारी भेंटा उसको दे दी जो संगत की तरफ से आई थी| गुरु जी ने साथ-साथ यह भी वचन किया कि इस धन से कूआँ लगवाओ और इसके साथ-साथ ही धर्मशाला भी बनवाओ| इसके साथ आपको और कुछ भी करना है| पास ही फलदार वृक्षों का बाग लगवाओ| साथ ही साथ गुरु जी ने यह भी कहा कि इस धन के लालच में मत पड़ना| अगर आप इन्हें अन्य प्रकार से खर्च करोगे तो सब कुछ निष्फल हो जाएगा|

जब गुरु जी चले गए तो जिमींदार को लालच आ गया| उसने लोभ में आकर उस धन का कूआँ अपनी खेती में लगवाने की सलाह कर ली| उसने कारीगरों को बुलाया| कारीगरों को बुलाकर कूएँ का पाड़ खुदवाया| उसमे चक्क उतारा| तो वह वहाँ ही ठहर गया| बहुत जोर लगाया पर चक्क नीचे ना उतरा|

इस कूएँ की खुडल आज तक जिमींदार के खेत में उजाड़ है| इस तरह गुरु जी के वचनों की उलंघना करके जिमींदार ने यह सारा धन ही निष्फल गँवा लिया|






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