श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ
हडियाए नगर, बुखार रोग दूर करना
गुरु तेग बहादर जी हडियाए नगर पहुँचे वह नगर से बाहर बरगद के पेड़ के नीचे आ ठहरे| उस समय गाँव का एक बीमार आदमी लेता हुआ था|बुखार के साथ उसकी हडियाँ टूट रही थी| गुरु तेग बहादर जी ने पुछा इसको घर क्यों नहीं ले जाते?
उसको घर वालों ने कहा की महाराज! गाँव में बुखार का बड़ा जोर है,कोई विरला ही बचा है|बहुत लोग मार भी गये है|
वह पास ही पानी का एक जौहड़ था| गुरु जी कहा कि इस इसमें स्नान करा दो| बुखार भी उतर जायेगा|उन्होंने गुरु जी का वचन माना| बीमार व्यक्ति को उठा कर जौहड़ में स्नान कराया गया| उसका बुखार शीघ्र ही उतर गया|बीमार आदमी भी स्वस्थ हो गया|
इस बात का पता जब गाँव वालों को लगा तो वो सरे बीमार लोगों को लेकर गुरु जी के पास ले आये|सबको जौहड़ में स्नान कराया गया| सभी स्वस्थ हो गये| यह कौतक देखकर सभी दंग रह गये| सभी भेंट लेकर गुरु जी के दर्शन करने आने लगे|सतिनाम का उपदेश ले कर सिख बन गये|
गुरु जी यह एक धर्मशाला व लंगर चलाने का हुक्म देकर आगे चल दिए| इस जौहड़ को संगत ने पक्का सरोवर करा दिया,जिसका नाम "गुरुसर " प्रसिद्ध है|संगत ने गुरु जी कि आज्ञा अनुसार धर्मशाला भी तैयार कर दी|
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