श्री गुरु गोबिंद सिंह जी – साखियाँ
चरण पाहुल तथा खंडे के अमृत की शक्ति
सिक्खों ने पांच प्रकार की सिक्खी का उल्लेख सुनकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से प्रार्थना कि महाराज! हमें पाहुल व अमृत का उल्लेख बताओ| गुरु जी ने फरमाया कि भाई! तंत्र-मन्त्र आदि कार्य कि सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है,परन्तु वाहिगुरू-मन्त्र जो चारों वर्णों को एक करने वाला है,इससे सभी सिद्ध हो जाते है| लोहे का शस्त्र (खंडा), जल तथा मिष्ठान से तैयार किया हुआ अमृत एक बड़ा तन्र्त्र है, जो स्त्री व पुरुष को बलवान बना देता है|
श्री गुरु नानक देव जी से लेकर अब तक गुरु घर में चरण पाहुल की मर्यादा थी| जिससे सिक्ख की गुरु चरणों में बहुत प्रीति होती है| चरण धोकर उसके ऊपर गुरु मन्त्र पड़कर सिक्ख को पिला देना व भजन करने का उपदेश देना, इस विधि से केवल मन्त्र के बल से सतो गुणी चरणामृत बनता है|
परन्तु जल तथा मिष्ठान्न लोहे के बाटे में डाल कर उसमें लोहे का खंडा घुमा कर अमृत तैयार किया जाता है| यह तंत्र है, जिसमें बिजली की तरह ऐसी शक्ति पैदा होती है, जो अमृत पान करने वाले के अंदर वीर रस व धर्म की दृढ़ता भर देती है, इस अमृत को तैयार करते समय जो जो गुरुबाणी का पाठ एक मन होकर सिंह करते है, वह मन्त्र है| गुरुसिख को जो पाँच ककार धारण कराये जाते है, वह यंत्र है|
इन तीनों तंत्र, मन्त्र व यंत्र के इकठ में एक त्रिगुणी बलवान शक्ति पैदा हो जाती है| इस लिए खंडे का अमृत चरणामृत से कई प्रकार से बढकर शक्ति रखता है|
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