ॐ सांई राम
"मेरे भक्तों को घर, अन्न तथा वस्त्रों का कभी अभाव नही होगा। यह मेरा बेशिष्टय है कि जो भक्त मेरी शरण आ जाते है और अंतकरण से मेरे उपासक है, उनके कल्याणार्थ मै सदैव चिंतित रहता हूँ"
कृष्ण भगवान ने गीता में भी यही समझाया है। इसलिये भोजन तथा वस्त्र के लिये अधिक चिन्ता न करो। यदि कुछ मांगने की अभिलाषा है, तो ईश्वर को ही मांगो। सांसारिक मान व उपाघियों के
बदले ईश्वर कृपा तथा अभयदान प्राप्त करो। सदैव मेरे स्मरण में मन को लगाये रखो, तांकि वह देह, सम्पति व ऐश्वर्य की ओर प्रवृत न हो। तब चित स्थिर, शान्त व निर्भय हो जाएगा।
कृष्ण भगवान ने गीता में भी यही समझाया है। इसलिये भोजन तथा वस्त्र के लिये अधिक चिन्ता न करो। यदि कुछ मांगने की अभिलाषा है, तो ईश्वर को ही मांगो। सांसारिक मान व उपाघियों के
बदले ईश्वर कृपा तथा अभयदान प्राप्त करो। सदैव मेरे स्मरण में मन को लगाये रखो, तांकि वह देह, सम्पति व ऐश्वर्य की ओर प्रवृत न हो। तब चित स्थिर, शान्त व निर्भय हो जाएगा।
No comments:
Post a Comment