श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - एक माई का पुत्र जीवित करना
एक विधवा माई जो की गोइंदवाल में रहती थी उसका पुत्र बुखार से मर गया| वह रात्रि से समय ऊँची ऊँची रोने लगी| उसका ऐसा विर्लाप सुनकर गुरु अमरदास जी माई के घर गये और अपने चरण बच्चे के माथे पर धरे| गुरु जी के चरण माथे पर लगते ही बेटा जीवित हो गया| गुरु जी ने अपने सेवक बल्लू को कहा कि मरे हुए को जिन्दा करना इश्वर के हुकम के विरुद्ध है इस करण आगे से जब तक हमारा शरीर रहेगा तब तक कोई बच्चा माता - पिता के सामने नहीं मरेगा|
ऐसा वचन करके गुरु जी अपने आसन पर सुशोभित हो गये|
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