शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Tuesday, July 3, 2012

मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ


ॐ सांई राम


















गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो






मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




तेरे दर पे निछावर ये जीवन करूँ




साईं हर पल मै तेरा ही दर्शन करूँ




जो भी करता सदा है इबादत तेरी




जिंदगी की कोई राह खोती नहीं






तुने भक्तों को तारा हमेशा साईं




क्यों नज़र मुझपे रहमत की होती नहीं




तेरी नज़र-ए-इनायत हो साईं अगर




साईं हर पल मै तेरा ही ध्यान करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




मैंने हर सांस मे साईं चाहा यही




तेरे चरणों की धूल मे मिल जाऊं मै




गर जुबां मेरी यूँ ही सलामत रहे




साईं जीवन मे तेरे ही गुण गाऊँ मै




तेरे नाम का सहारा लेकर जीउँ




तेरी चौखट पे ही आखिरी दम भरूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




साईं सुन लो ये छोटी सी ख्वाहिश मेरी




मुझे इन्सां बनाना हर इक मोड़ पर




हर बार तू ही पिता हो मेरा




कभी जाना ना साईं मुझे छोड़ कर




हर जनम मे मै साईं तेरा भक्त बनूँ




और हर बार तेरी ही सेवा करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




तुमने अंधों को नैन दिए हैं प्रभु




तुमने निर्धन को साईं धन है दिया




उसकी काया को कंचन किया है प्रभु




जिसने हर पल मे तेरा ही नाम लिया




ऐसे देवादि देव का मैं दर्शन करूँ




साईं तुझको ही दिन रात नमन मैं करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




माँ बायजा का भाग्य जगाया प्रभु




उनकी सेवा को तुमने स्वीकार किया




उनकी ममता मे भक्ति जगाकर प्रभु




उनकी श्रद्धा को अंगीकार किया




ऐसे संत को नित नित प्रणाम करूँ




अपने जीवन का साईं उद्धार करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




तुमने शामा को जीवन का दान दिया




ज़हर सांप का तन से उतार दिया




तात्या को अपनी आयु देकर




क़र्ज़ ममता का तुमने अतार दिया




तेरे यश का मै किस विध बखान करूँ




तेरी ममता को हर पल प्रणाम करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




अपने चरणों से गंगा प्रवाहित करके




तुमने विष्णु का रूप दिखाया प्रभु




दास गणु ने गंगा नहा कर के




अपने मन मै तुम्ही को बसाया प्रभु




ऐसे अमृत का नित नित मै पान करूँ




साईं तेरा ही हर पल मै ध्यान करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




साईं मेघा को शिव जी के दरस दिए




उसकी सेवा को निस दिन स्वीकार किया




अपने हाथों से अंतिम विदाई देकर




भक्त का साईं तुमने उद्धार किया




ऐसे स्वामी की दिन रैन सेवा करूँ




साईं पल पल मै तेरा ही वंदन करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




माँ लक्ष्मी को साईं नौ सिक्के दिए




नवदा भक्ति का ज्ञान उनको दिया




कशी राम के प्राणों की रक्षा जो की




साईं तुमने उसे भय मुक्त किया




ऐसे रक्षक के चरणों मै शीश धरूँ




अपने मन को मै साईं जी शुद्ध करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




जिस नीम की छांव में परगट हुए




उस नीम को मीठा किया है प्रभु




अपने क़दमों से साईं प्रभु तुमने




शिर्डी धाम को पावन किया है प्रभु




शिर्डी धाम का जब जब मै दर्शन करूँ




चारों धाम का ही वहां दर्शन करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




म्हालसापति जी की सेवा जो ली




उनका जन्म ही तुमने संवार दिया




उनकी नैया को अपना सहारा देकर




भव सागर से नैया को पार किया




ऐसे स्वामी की नित नित मै सेवा करूँ




ऐसे साईं को मन मे मैं धारण करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




कोढ़ी को भी गले से लगाकर प्रभु




उसकी सेवा को तुमने स्वीकारकिया




उससे ज़ख्मों की सेवा लेकर प्रभु




अपने ही जन्म का यूँ उद्धार किया




ऐसे मालिक की निश दिन मै सेवा करूँ




ऐसे साईं की मूरत मै मन में धरूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




नन्ही सी जान को यूँ बचाया प्रभु




अपने हाथों को अग्नि में झोंक दिया




जब बढ़ती गयी धुनी में आग तो




अपना सटका बजा कर ही रोक दिया




ऐसे साईं पिता का मै वंदन करूँ




ऐसे साईं का शत शत नमन मै करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




तेरी शिर्डी मे जो भी है आता प्रभु




उसकी आपद को दूर भगाता प्रभु




चढ़ गया जो समाधि की सीढ़ी प्रभु




उसके दुखों को हर लेता साईं प्रभु




ऐसे देवों के देव का सुमिरन करूँ




ऐसे साईं का हर पल मै ध्यान करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




तुने देह को त्यागा है बेशक प्रभु




भक्त हेतु सदा दौड़ा आता है तू




मन में रखता है जो भी विश्वास प्रभु




करता है उसकी पूरी वो आस प्रभु




ऐसे साईं की रहमत को नमन करूँ




ऐसे साईं के चरणों में शीश धरूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




जो भी जाने है तुझको जीवित प्रभु




उन्हें सत्य का होता है अनुभव प्रभु




तेरी शरण में आता सवाली अगर




उसकी झोली सदा ही तू भरता प्रभु




ऐसे दानी का शत शत नमन मै करूँ




ऐसे साईं पे वारी ये जीवन करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




जैसा भाव रहा जिस मन का प्रभु




वैसा रूप हुआ तेरे मन का प्रभु




तुने भार सभी का है ढोया प्रभु




तुने सत्य वचन कर दिखाया प्रभु




ऐसे साईं में लीन मै मन को करूँ




ऐसे साईं का नित नित मै पूजन करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




जिसने मांगी मदद साईं तुझसे प्रभु




उसने पाया है साईं सहारा प्रभु




जो भी लीन हुआ मन वचन से प्रभु




उसकी नैया ने पाया किनारा प्रभु




साईं नाम की नाव में मै पाँव धरूँ




इस भव से मै नैया को पार करूँ




गर मुझे अपने चरणों की छाँव में रखो




मैं तो दिन रात तेरी ही सेवा करूँ




तुम तो आये कभी राम बन के साईं




कभी मुरली मनोहर का रूप धरा




मै भी आया हूँ साईं दर पे तेरे




कभी दर्शन मुझे भी तो दे दो ज़रा




तेरे दर्शन का साईं इंतज़ार करूँ




तेरे वचनों पे में ऐतबार करूँ




जब मश्जिद में साईं अँधेरा हुआ




तुमने पानी से दीपक जलाये साईं




उसने पाई सदा साईं रहमत तेरी




जिसने दीपक ह्रदय में जलाये साईं




ऐसे दीपक सदा में जलाया करूँ




साईं दर्शन में तेरा ही पाया करूँ




जब घेरा था महामारी ने शिर्डी को




तब तुम्ही ने बचाया था सबको साईं




तुमने हाथों से अपने जो पीसी गेहूं




वो ही भक्तों की रक्षक बनी थी साईं




ऐसा लीला को कैसे बयां में करूँ




लीला धारी को पल पल नमन मै करूँ




जिसने मांगी थी संतान तुझसे अगर




उसको आशीष देकर नवाज़ा साईं




तुने भेंट में लेकर बस इक नारियल




सारा जीवन ख़ुशी से सजाया साईं




ऐसे दानी का साईं में वंदन करूँ




विष्णु साईं को हर पल नमन मै करूँ




जब मिथ्या गुरु आये जोहर अली




और ठगने लगे शिर्डी वासियों को




उसके चंगुल से तुमने बचाए सभी




भोले भाले सभी शिर्डी वासियों को




ऐसे साईं को पल पल नमन मैं करूँ




साईं चरणों की नित नित मैं सेवा करूँ




भक्त नानावाली हुए जब बेचैन तो




खुजली से थे हुए परेशां वो साईं




उसकी कर ली हरण बेचैनी तुमने




अपनी गादी पे उसको बिठाकर साईं




ऐसे वेदों के वैद को नमन मै करूँ




ऐसे साईं को हर पल नमन मै करूँ




अपने भक्तों की खातिर तुमने साईं




सबके कष्टों को खुद पे सहन था किया




खुद पहनी थी तुमने कफनी साईं




जिसने माँगा उसे सभी कुछ था दिया




ऐसे दाता का हर पल नमन मै करूँ




ऐसे साईं का मै अभिनन्दन करूँ




दत्त दिगंबर हे साईं दयाल




तुम तो जगत के हो पालनहार




बस में साईं तुमरे है सब संसार




शरणागत के तुम तो हो प्राण आधार




उस कलयुग अवतारी का वंदन करूँ




ऐसे साईं का पल पल भजन मै करूँ




बंसी धारी तुम्ही तो हो मोहन साईं




जटाधारी तुम्ही भोले साईं तुम्ही




मन वचन से जो फ़र्ज़ निभाते हो तुम




ऐसे रघुकुल के हो राम साईं तुम्ही




ऐसे ब्रह्मा स्वरुप को नमन मैं करूँ




ऐसे साईं स्वरुप को नमन मैं करूँ




था दुखी क्षयरोग से बंदा साईं




भक्त भीमाजी के रोग को हर लिया




उदी को औषधि रूप देकर साईं




साईं तुमने नया उसको जीवन दिया




दुःख हरता का पल पल मैं वंदन करूँ




ऐसे साईं को चित्त में सदा मैं धरूँ




तुमने विठल का रूप दिखाकर साईं




काका जी के जीवन को धन्य किया




दामू अन्ना को पुत्र का धन देकर




उसके जीवन को था संतुष्ट किया




ऐसे साईं के चरणों में मस्तक धरूँ




ऐसे साईं को सब कुछ में अर्पण करूँ




चाँद भाई की घोड़ी दिलाकर साईं




उसको उलझन से तुमने निकाला साईं




पशु पक्षी से इतना तुम्हे प्रेम था




अपने हाथों से देते निवाला साईं




सभी जीवों के पलक का वंदन करूँ




साईं बारम्बार नमन मैं करूँ




कैसे गुणगान साईं मै तेरा करूँ




बुद्धि हीन हूँ साईं मै नादान हूँ




तुम तो दीन दयाल हो दाता साईं




मैं तो भूला भटका अनजान हूँ




अब करो मुझ पर भी कृपा तुम साईं




तेरे चरणों मै ही मैं तो बिनती करूँ




सुबह शाम जो भजता है तुमको साईं




उसका देते हो साथ सदा तुम साईं




दृढ भक्ति से गुणगान करता है जो




देते हैं उसको ही तो परम पद साईं




ऐसे मुक्ति के दाता का भजन करूँ




ऐसे साईं का निशदिन मैं नमन करूँ




तुम दयावान हो मेरे साईं सखा




मुझ पर भी दया तुम कर दो साईं




अपने चरणों में स्थान देकर मुझे




तोड़ दो मोह बंधन मेरे तुम साईं




सदा मुक्ति के मार्ग पे चलता रहूँ




तेरे चरणों की साईं मै सेवा करूँ




सुना है कृपावान हो तुम साईं




दीन हीनों पे करते कृपा हो साईं




मैं भी तो दीन हीन हूँ मेरे प्रभु




मुझपे नज़र -ए -इनायत हुई ना साईं




ऐसे कृपावान साईं को मै भजूँ




ऐसे साईं जी के मैं तो चरणन पडूँ




जिस पर भी हो साईं की रहम -ओ -नज़र




आसां होती है उसके जीवन की डगर




पाता है वो मुरादें तमाम उम्र




श्रद्धा सबुरी का पालन करे जो अगर




ऐसे दीन - ए -इलाही की हमद मै करूँ




श्रद्धा सबुरी का पालन सदा मै करूँ




अनंत कोटि हो ब्रह्माण्ड नायक साईं




तुम्ही राजाधिराज योगी राज साईं




तुम्ही परब्रह्म सच्चिदानंद साईं




तुम्ही सदगुरु श्री साईं नाथ साईं




ऐसे साईं की जय ही मै बोला करूँ




ऐसे साईं को जीवन मै अर्पण करूँ




तुमने रूप फकीरों का साईं धारा




कफनी थी सिर्फ एक तेरी साया साईं




शहंशाहों के थे शहंशाह तुम




फिर भी कंधे पे झोली लटकाई साईं




ऐसे रूप का साईं मै तो वंदन करूँ




ऐसे मोहन साईं मै दर्शन करूँ




हे जीवों को सुख देने वाले साईं




अपने चरणों मै मुझको भी तुम स्थान दो




इन चरणों के ध्यान मै लीन रहूँ




प्रभु मुझको भी ऐसा ही वरदान हो




आरती साईं तेरी मैं मन में करूँ




साईं चन्दन से श्रृंगार तेरा करूँ




हर गुरूवार को तेरे द्वारे आऊं




अपने मन से पापों को दूर करूँ




तेरे चरणों की छाया में हर पल रहूँ




इस जीवन को साईं सफल मै करूँ




जब बुलाओ तो शिर्डी मै जाया करूँ




धूल चरणों की मस्तक लगाया करूँ




तुमने लाखों को तारा है जग से प्रभु




मेरी नैया को भी पार कर दो साईं




मैं भी उम्मीद लेकर ये आया प्रभु




मेरे दमन को भी अब भर दो साईं




साईं मेरी है बस इक यही आरजू


तेरे दर पे जियूं तेरे दर पे मरुँ




॥ य़ह भजन आपकी नज़र, बहन रविन्दर जी के सौजन्य से ॥




For Daily SAI SANDESH Click at our Group address : http://groups.google.com/group/shirdikesaibaba/boxsubscribe?p=FixAddr&email
Current email address :
shirdikesaibaba@googlegroups.com

Visit us at :











For Daily Sai Sandesh Through SMS:


Type ON SHIRDIKESAIBABAGROUP


In your create message box


and send it to


+919870807070










Please Note : For Donations


Our bank Details are as follows :


A/c-Title -Shirdi Ke Sai Baba Group


A/c.No-0036DD1582050


IFSC -INDB0000036


IndusInd Bank Ltd,


N-10/11,Sec-18,


Noida-201301.





For more details Contact :


Anand Sai (Mobile)+919810617373 or mail us

No comments:

Post a Comment

For Donation