ॐ सांई राम
मानवीय जीवन में ज्ञान का दीपक जलाते हैं सदगुरू
जिस प्रकार से अंधकार को मिटाने के लिए उसके पीछे लाठी लेकर नहीं भागना पड़ता बल्कि उसे दूर करने के लिए दीपक दीया या बिजली का बल्ब जलाया जाता है, रोशनी करना जरूरी है वैसे ही सदगुरू अपनी शरण में आने वाले के मन में व्याप्त अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करने के लिए ज्ञान का दीपक जला देते हैं।
जैसे प्रकाश के जलते ही अंधकार स्वत: नष्ट होने लगता है वैसे ही सदगुरु की संगत से अंधकार खत्म होने लगता है और मनुष्य की दृष्टि ही बदल जाती है। गुरु के आशीर्वाद से नाशवान पदार्थो के प्रति अरुचि होने लगती हैं और सद पथ पर चलने की प्रेरणा मिलती है जिससे परमात्मा का साक्षात्कार सुलभ हो जाता है इसलिए मनुष्य के लिए जीवन में सच्चे गुरु का चुनाव आवश्यक है। गुरु की संगत से प्रकाश का मार्ग प्रशस्त होता है और प्रभु की प्राप्ति का रास्ता सुगम हो जाता हैं। बाबा को पाने के लिए पहले मनुष्य को अपना मन निर्मल करते हुए अहम व लोभ का त्याग करना होगा। जो मनुष्य जीवन भर मोह जाल में फंस कर प्रभु का नाम लेना भी भूल जाते है उन्हें कभी सच्ची मानसिक शांति नहीं मिलती और जीवन में हर खुशी अधूरी ही रह जाती हैं। सच्चा गुरु वही है जो अपने शिष्य को सही मार्ग दिखलाए और उसे प्रभु प्राप्ति व मानसिक शांति पाने का रास्ता बताते हुए उसका उद्धार करे।
जो मनुष्य अहंकार का त्याग नहीं करता व मैं की भावना में ही उलझा रहता है वह कभी बाबा का प्रिय पात्र नहीं बन सकता। हर प्राणी को समान समझते हुए उससे ऐसा व्यवहार करना चाहिए जैसा आप उससे अपेक्षा रखते हैं।
हर मनुष्य में परोपकार की भावना होनी चाहिए। साथ ही नेकी कर दरिया में डाल वाली मानसिकता भी होनी चाहिए। मनुष्य को कभी भी किसी पर उपकार करके उसका एहसान नहीं जताना चाहिए। किसी पर एहसान करके जताने से अच्छा है कि एहसान किया ही न जाए।
जिस प्रकार से अंधकार को मिटाने के लिए उसके पीछे लाठी लेकर नहीं भागना पड़ता बल्कि उसे दूर करने के लिए दीपक दीया या बिजली का बल्ब जलाया जाता है, रोशनी करना जरूरी है वैसे ही सदगुरू अपनी शरण में आने वाले के मन में व्याप्त अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करने के लिए ज्ञान का दीपक जला देते हैं।
जैसे प्रकाश के जलते ही अंधकार स्वत: नष्ट होने लगता है वैसे ही सदगुरु की संगत से अंधकार खत्म होने लगता है और मनुष्य की दृष्टि ही बदल जाती है। गुरु के आशीर्वाद से नाशवान पदार्थो के प्रति अरुचि होने लगती हैं और सद पथ पर चलने की प्रेरणा मिलती है जिससे परमात्मा का साक्षात्कार सुलभ हो जाता है इसलिए मनुष्य के लिए जीवन में सच्चे गुरु का चुनाव आवश्यक है। गुरु की संगत से प्रकाश का मार्ग प्रशस्त होता है और प्रभु की प्राप्ति का रास्ता सुगम हो जाता हैं। बाबा को पाने के लिए पहले मनुष्य को अपना मन निर्मल करते हुए अहम व लोभ का त्याग करना होगा। जो मनुष्य जीवन भर मोह जाल में फंस कर प्रभु का नाम लेना भी भूल जाते है उन्हें कभी सच्ची मानसिक शांति नहीं मिलती और जीवन में हर खुशी अधूरी ही रह जाती हैं। सच्चा गुरु वही है जो अपने शिष्य को सही मार्ग दिखलाए और उसे प्रभु प्राप्ति व मानसिक शांति पाने का रास्ता बताते हुए उसका उद्धार करे।
जो मनुष्य अहंकार का त्याग नहीं करता व मैं की भावना में ही उलझा रहता है वह कभी बाबा का प्रिय पात्र नहीं बन सकता। हर प्राणी को समान समझते हुए उससे ऐसा व्यवहार करना चाहिए जैसा आप उससे अपेक्षा रखते हैं।
हर मनुष्य में परोपकार की भावना होनी चाहिए। साथ ही नेकी कर दरिया में डाल वाली मानसिकता भी होनी चाहिए। मनुष्य को कभी भी किसी पर उपकार करके उसका एहसान नहीं जताना चाहिए। किसी पर एहसान करके जताने से अच्छा है कि एहसान किया ही न जाए।
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