शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Monday, March 25, 2013

श्री साईं लीलाएं- बांद्रा गया भूखा ही रह गया



ॐ सांई राम






कल हमने पढ़ा था.. बाबा की आज्ञा का पालन अवश्य हो      

















श्री साईं लीलाएं
















बांद्रा गया भूखा ही रह गया






बाबा के एक भक्त रामचन्द्र आत्माराम तर्खड जिन्हें लोग बाबा साहब के नाम से भी जानते थे, बांद्रा में रहते थे| वैसे वो प्रार्थना समाजी थे परन्तु साईं बाबा के अनन्य भक्त थे| उनकी पत्नी और पुत्र तो साईं बाबा के प्रति पूर्णतया
समर्पित थे
| उनका पुत्र तो साईं बाबा की तस्वीर को बिना भोग लगाये खाना
भी नहीं खाता
था|



एक बार गर्मियों की छुट्टियों में उनके मन में विचार आया कि उनकी पत्नी और पुत्र छुट्टियां शिरडी में ही बितायें, लेकिन उनका पुत्र उनकी इस बात से सहमत नहीं था| वह छुट्टियां बांद्रा में ही बिताना चाहता था, क्योंकि उसके मन में यह शंका थी कि उसके घर में न रहने की वजह से साईं बाबा की पूजा
और भोग में व्यवधान
पड़ेगा| शायद उसके पिता प्रार्थना समाजी होने के कारण इस पर पूरा
ध्यान न दे पाएं
| लेकिन जब उसके पिता ने उसे इस बारे में पूरी तरह से आश्वस्त
कर दिया
, फिर वह लड़का अपनी माँ को साथ लेकर शिरडी रवाना हो गया|



अपने बेटे से किये गये वायदे के अनुसार बाबा साहब रोजाना पूजन करते और बाबा की तस्वीर को भोग
भी चढ़ाते
| एक दिन वह पूजा करके अपने ऑफिस चले गए| जब दोपहर को भोजन करने लगे तो उनकी थाली में प्रसाद नहीं था| प्रसाद थाली में न देखकर उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ और
वे शीघ्र उठे और
बाबा की तस्वीर के आगे दंडवत् होकर क्षमा मांगने लगे और फिर
सारी बातें पत्र में
लिखकर अपने पुत्र को अपनी ओर से बाबा से क्षमा मांगने को भी
कहा
|



यह घटना दोपहर को बांद्रा में घटी थी| यह वह समय था जब दोपहर को शिरडी में आरती होने वाली थी| जब वे माँ-बेटा बाबा के दर्शन करने बाबा के पास गये तो तभी
बाबा श्रीमती तर्खड
से बोले - "माँ ! मैं आज हमेशा की तरह भोजन के लिए
बांद्रा गया था
, पर खाना न मिलने के कारण दोपहर को भूखा ही लौट आया|"



साईं बाबा की इन बातों का अर्थ वहां उपस्थित कोई भी भक्त नहीं समझ पाया| पर वहीं पर खड़ा तर्खड का पुत्र तुरंत समझ गया कि बांद्रा में पूजा के दौरान कोई न कोई भूल अवश्य ही हुई है| वह बाबा से भोग के लिए भोजन लाने की आज्ञा मांगने लगा, तो बाबा ने उसे मना कर दिया और वहीं पूजन करने को कहा| बाद में पुत्र ने अपने पिता तर्खड को पत्र में सारी बातें
विस्तार से लिखकर
भविष्य में उन्हें पूजन के दौरान सावधानी बरतने को कहा|पत्र को पढ़कर उसके पिता को इस बात का बहुत दुःख हुआ कि उसकी भूल के कारण बाबा को भूखा
रहना पड़ा
, और वे रो पड़े|










कल चर्चा करेंगे..प्यार की रोटी से मन तृप्त हुआ 















ॐ सांई राम





===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===


बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।


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