शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Friday, September 7, 2012

चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा



ॐ सांई राम






***************************************************************

हुये नामवर बेनिशाँ कैसे कैसे, ज़मीं खा गई नौजवान कैसे कैसे

***************************************************************



आज जवानी पर इतराने वाले कल पछतायेगा,

चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा





तू यहाँ मुसाफिर है ये सराय फानी है, चार रोज़ की मेहमाँ तेरी जिंदगानी है

धन, ज़मीं, ज़र, ज़ेवर कुछ न साथ जायेगा, ख़ाली हाथ आया है ख़ाली हाथ जायेगा

जान कर भी अनजाना बन रहा है दीवाने, अपनी उम्र फानी पर तन रहा है दीवाने

किस क़दर तू खोया है, इस जहां के मेले में, तू खुदा को भूला है फस के इस झमेले में

आज तक ये देखा है, पाने वाला खोता है, जिंदगी को जो समझा जिंदगी पे रोता है

मिटने वाली दुनिया का ऐतबार करता है, क्या समझ के तू आख़िर इस से प्यार करता है

अपनी अपनी फ़िकरों में जो भी है वो उलझा है, जिंदगी हक़ीक़त में क्या है कौन समझा है

आज समझ ले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा, ओ गफलत की नींद में सोने वाले धोखा खायेगा

चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा, चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा




मौत ने ज़माने को ये समां दिखा डाला, कैसे कैसे रुस्तम को ख़ाक में मिला डाला

याद रख सिकंदर के हौसले तो आली थे, जब गया था दुनिया से दोनों हाथ ख़ाली थे

अब न वो हलाकू हों और न उसके साथी हैं, जंगजू ओ पोरस है और न उसके हाथी हैं

कल जो तन के चलते थे, अपनी शानो शौक़त पर, शम्मा तक नहीं जलती आज उनकी दुरबत पर

अदना हो आला हो सब को लौट जाना है, मुफलिसों कवंगर का क़ब्र की ठिकाना है

जैसी करनी वैसी भरनी आज किया कल पायेगा, सर को उठा के चलने वाला इक दिन ठोकर खायेगा

चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा, चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा




मौत सब को आनी है, कौन इससे छूटा है, तू फनाह नहीं होगा ये ख्याल झूठा है

साँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जायेंगे, बाप माँ बहिन बीवी बच्चे छूट जायेंगे

तेरे जितने हैं भाई, वक़्त का चलन देंगे, छीन कर तेरी दौलत दो ही गज़ क़फ़न देंगे

जिनको अपना कहता है कब ये तेरे साथी हैं, क़ब्र है तेरी मंजिल और ये बाराती हैं

लाके क़ब्र में तुझको बुर्का बाँध डालेंगे, अपने हाथों से तेरे मुँह पे ख़ाक डालेंगे

तेरी सारी उल्फत को ख़ाक में मिला देंगे, तेरे चाहने वाले कल तुझे भुला देंगे

इसलिए ये कहता हूँ ख़ूब सोच ले दिल में, क्यों फ़साये बैठा है जान अपनी मुश्किल में

कर गुनाहों से तौबा आ के बाद संभल जाए, दम का क्या भरोसा है जाने कब निकल जाए

मुट्ठी बाँध के आने वाले हाथ पसारे जायेगा, धन दौलत जागीर से तूने क्या पाया क्या पायेगा

चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा, चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा











For Daily SAI SANDESH Click at our Group address : http://groups.google.com/group/shirdikesaibaba/boxsubscribe?p=FixAddr&email
Current email address :
shirdikesaibaba@googlegroups.com

Visit us at :

























For Daily Sai Sandesh Through SMS:









Type ON SHIRDIKESAIBABAGROUP


In your create message box


and send it to


+919870807070










Please Note : For Donations


Our bank Details are as follows :


A/c-Title -Shirdi Ke Sai Baba Group


A/c.No-0036DD1582050


IFSC -INDB0000036


IndusInd Bank Ltd,


N-10/11,Sec-18,


Noida-201301.





For more details Contact :


Anand Sai (Mobile)+919810617373 or mail us







No comments:

Post a Comment

For Donation