मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला...
जिसके मन में तू जन्म ले
अविनाशी आनंद से भर दे
आदि अनंत और प्रीत रीत की
जल जायेगी ज्वाला
मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला
मुझको को तूने पास बुलाया
स्वर्ग लोक का भवन दिखाया
महा पवित्र स्थान में रहकर
आप ही उसे संभाला
मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला
पाप में दुनिया डूब रही थी
परम पिता से दूर हुई थी
महिमा अपनी आप ही तज कर
रूप मनुष्य ले आया
मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला
प्रेम हमें अनमोल दिखाया
प्रेम की खातिर रक्त बहाया
हर विश्वासी प्रेम से आये
खुशी से अपनी भेंट चढ़ाये
अंधकार सब दूर हुये हैं,
मन में हुआ उजाला...
साई तू है निराला...
जिसके मन में तू जन्म ले
अविनाशी आनंद से भर दे
आदि अनंत और प्रीत रीत की
जल जायेगी ज्वाला
मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला
मुझको को तूने पास बुलाया
स्वर्ग लोक का भवन दिखाया
महा पवित्र स्थान में रहकर
आप ही उसे संभाला
मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला
पाप में दुनिया डूब रही थी
परम पिता से दूर हुई थी
महिमा अपनी आप ही तज कर
रूप मनुष्य ले आया
मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला
प्रेम हमें अनमोल दिखाया
प्रेम की खातिर रक्त बहाया
हर विश्वासी प्रेम से आये
खुशी से अपनी भेंट चढ़ाये
अंधकार सब दूर हुये हैं,
मन में हुआ उजाला...
मन मंदिर में बसने वाला,
साई तू है निराला
साई तू है निराला
No comments:
Post a Comment