शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण....

Monday, November 9, 2009

श्री साई बावनी


ॐ सांई राम


श्री साई बावनी

जय ईश्वर जय साई दयाल, तू ही जगत का पालनहार,










दत्त दिगंबर प्रभु अवतार, तेरे बस में सब संसार!


ब्रम्हाच्युत शंकर अवतार, शरनागत का प्राणाधार,

दर्शन देदो प्रभु मेरे, मिटा दो चौरासी फेरे !

कफनी तेरी एक साया, झोली काँधे लटकाया,

नीम तले तुम प्रकट हुए, फकीर बन के तुम आए !

कलयुग में अवतार लिया, पतित पावन तुमने किया,

शिरडी गाँव में वास किया, लोगो को मन लुभा लिया!

चिलम थी शोभा हाथों की, बंसी जैसे मोहन की,

दया भरी थी आंखों में, अमृतधारा बातों में!

धन्य द्वारका वो माई, समां गए जहाँ साई,

जल जाता है पाप वहाँ , बाबा की है धुनी जहाँ!

भुला भटका में अनजान, दो मुझको अपना वरदान,

करुना सिंधु प्रभु मेरे , लाखो बैठे दर पर तेरे!

जीवनदान श्यामा पाया, ज़हर सांप का उतराया!

प्रलयकाल को रोक लिया, भक्तों को भय मुक्त किया,

महामारी को बेनाम किया, शिर्डिपुरी को बचा लिया!

प्रणाम तुमको मेरे इश , चरणों में तेरे मेरा शीश,

मन को आस पुरी करो, भवसागर से पार करो!

भक्त भीमाजी था बीमार, कर बैठा था सौ उपचार,

धन्य साई की पवित्र उदी, मिटा गई उसकी शय व्याधि!

दिखलाया तुने विथल रूप, काकाजी को स्वयं स्वरूप,

दामु को संतान दिया, मन उसका संतुशत किया!

कृपाधिनी अब कृपा करो, दीन्दयालू दया करो,

तन मन धन अर्पण तुमको, दे  दो सदगति प्रभु मुझको!

मेधा तुमको न जाना था, मुस्लिम तुमको माना था,

स्वयं तुम बन के शिवशंकर, बना दिया उसका किंकर!

रोशनाई की चिरागों में, तेल के बदले पानी से,

जिसने देखा आंखों हाल, हाल हुआ उसका बेहाल!

चाँद भाई था उलझन में, घोडे के कारण मन में,

साई ने की ऐसी कृपा , घोडा फिर से वह पा सका!

श्रद्धा सबुरी मन में रखों, साई साई नाम रटो ,

पुरी होगी मन की आस, कर लो साई का नित ध्यान !

जान का खतरा तत्याँ का , दान दिया अपनी आयु का,

ऋण बायजा का चुका दिया, तुमने साई कमाल किया!

पशुपक्षी पर तेरी लगन, प्यार में तुम थे उनके मगन,

सब पर तेरी रहम नज़र , लेते सब की ख़ुद ही ख़बर!

शरण में तेरे जो आया , तुमने उसको अपनाया,

दिए है तुमने ग्यारह वचन, भक्तो के प्रति लेकर आन!

कण-कण में तुम हो भगवान, तेरी लीला शक्ति महान,

कैसे करूँ तेरे गुणगान , बुद्धिहीन मैं हूँ नादान!

दीन्दयालू तुम हो हम सबके तुम हो दाता ,

कृपा करो अब साई मेरे , चरणों में ले ले अब तुम्हारे!

सुबह शाम साई का ध्यान , साई लीला के गुणगान,

दृढ भक्ति से जो गायेगा , परम पद को वह पायेगा!

हर दिन सुबह शाम को, गाए साई बवानी को,

साई देंगे उसका साथ , लेकर हाथ  में हाथ!

अनुभव त्रिपती के यह बोल, शब्द बड़े है यह अनमोल,

यकीन जिसने मान लिया , जीवन उसने सफल किया !

साई शक्ति विराट स्वरूप , मन मोहक साई का रूप,

गौर से देखों तुम भाई, बोलो जय सदगुरु साई!





॥अनंत कोटी ब्रम्हांड नायक राजाधिराज योगीराज परं ब्रम्हं श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय ॥



॥श्री सच्चिदानन्द सदगुरु  साईनाथ महाराज की जय ॥



॥श्री सदगुरु साईनाथपर्णमस्तु । शुभं भवतु ॥









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